वीर आज हुंकार भरो

वीर आज हुंकार भरो
रण को हर योद्धा न पाता
तुम फिर क्यो प्रतिकार करो
वीर आज….……..।
महासमर है शत्रु प्रबल हैं
तुम भी निर्भय वार करो ,
एक एक पर बरस पड़ो
चंडी का तुम जयकार करो ,
विजय नाद मंडल में गुजे
ऐसा एक आघात  करो,
रिपु हो जाय अस्त व्यस्त
ऐसी गति से प्रतिहार करो,
वीर आज…….
रण में हर ले मृत्यु को,
क्या उसे मांगने जाएगा ,
लेकर के अबलम्ब काल का
मिलने उससे पाएगा,
यदि ऐसा तू करे वीर,
तो वो तुझको धिक्कारेगी
किस गौरव में भर कर तुझको
योद्धा, प्रिए पुकारेगी
इसीलिए तुम आज सुंदरी का
रण में अभिसार करो ।
चली आय, लालयित होकर
ऐसा शोणित श्रृंगार करो ।
वीर आज हुंकार भरो ।
प्रांशु वर्मा 

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