सफलता क्या है ?

हम प्राय हर दिन किसी न किसी से सुनते है कि सफल बनो । सफल बनने के लिए अमुक कार्य करो या फिर अमुक व्यक्ति सफल है । हमारे सबके मन में यह इच्छा जरूर होती है कि हम एक सफल व्यक्ति बने । अगर हमसे कहा जाए कि सफलता की सीमा क्या है ।पढ़नापढ़ना जारी रखें “सफलता क्या है ?”

संशय

एक तरफ जब सभी सितारे मंजिल मेरी दूर किनारे, सूखा रेगिस्तान सामने जंगल बीहड़ छुट चुके हो प्यासे पंछी झुके खड़े हो , एक मशक में थोड़ा पानी पर बाकी है अभी कहानी आहत मन जब टूट चुके हो, मिलता साथी एक पुराना जैसे गुजरा हुआ जमाना बोला अब बढ़ते है आगे मत देखो वोपढ़नापढ़ना जारी रखें “संशय”

राह की आह

भूली सी पगडंडी मुझे जब मिल गई पुछा जो उसने फिर मेरी बाते नई एक तूफ़ान उठा, सरसराया, थम गया मेरी आवाज़ देख गुजती बन के हवा, उस हूक पे नज़रे तब टिकी ही रह गई धधकती आग में अब राख बाकी ही रही मेरी जिल्लत ने है पहना जो जामा शेर का खुश्क दरियापढ़नापढ़ना जारी रखें “राह की आह”

विरह लोक गीत

भूली अखियां आज निहारे तेरी प्रीत न बिसरी मोहे तू मोहे काहे बिसारे भूली अखियां….! दिन बीते आवे जो रतिया नैना ना चंदा निहारे कड़के बादल चमके बिजुरिया मन हिचकोले खावे रे तेरी आस बंधी रह जावे पानी बिन जो जो मीन तपड़ती मोहे तड़पाती आवे रे भूली अखियां…..! सब कहती अब कजरी आई तोरेपढ़नापढ़ना जारी रखें “विरह लोक गीत”

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